Sunday, November 24, 2019

لماذا وصفت بريطانيا الآن بأنها "قوة احتلال غير شرعية"؟

وصفت موريشيوس بريطانيا بأنها قوة احتلال غير شرعية بعد تجاهلها مهلة حددتها الأمم المتحدة لإعادة سيطرتها على جزر شاغوس إلى موريشيوس.
وكانت الأمم المتحدة قد أمهلت بريطانيا 6 أشهر للتخلي عن سيادتها على الجزر ولكن هذا الموعد انتهى الآن.
وتقول موريشيوس إنها أجبرت على التنازل عن الأرخبيل الصغير في المحيط الهندي عام 1965 مقابل الحصول على استقلالها.
ومن جانبها لا تعترف بريطانيا بسيادة موريشيوس على الجزر.
وتصر وزارة الخارجية البريطانية على أن لبريطانيا كل الحق في التمسك بالجزر التي تضم إحداها وهي ديوغو غارسيا قاعدة عسكرية أمريكية.
وقالت في بيان بهذا الشأن "لبرطانيا دون شك حق السيادة على إقليم المحيط الهندي البريطاني والخاضع للسيادة البريطانية المتواصلة منذ عام 1814".
وأكد البيان أن "موريشيوس لم يكن لها السي
ومع اقتراب فترة الستة أشهر من الانتهاء قال رئيس وزراء موريشيوس برافين جوغنوث إن بريطانيا الآن قوة احتلال غير شرعية.
وليست المهلة ملزمة ولن يعقبها عقوبات ولكن ذلك يمكن أن يتغير.
ولدى صدور القرار قالت وزارة الخارجية البريطانية إن بريطانيا لا تعترف بسيادة موريشيوس على الجزر ولكنها ستحترم التزامها الذي أعلنته سابقا وهو أنها ستسلم الجزر لموريشيوس عندما تنتفي حاجتها لها لأغراض دفاعية.
يذكر أنه بين عامي 1968 و1974 قامت بريطانيا بعملية نقل قسري للآلاف من سكان الجزر إلى موريشيوس وسيشل اللتين تبعدان نحو ألف ميل حيث واجهوا الفقر والتمييز.
ثم دعت بريطانيا الولايات المتحدة لبناء قاعدة عسكرية في دييغو غارسيا.
وكانت الطائرات الأمريكية التي قصفت أفغانستان والعراق قد انطلقت من هذه القاعدة. كما يتردد أن الاستخبارات الأمريكية تستخدم هذه القاعدة كـ "موقع اسود" لاستجواب المتهمين بالإرهاب. وفي عام 2016 تم تمديد إيجار القاعدة حتى عام 2036.
ودأبت بريطانيا على الاعتذار عن الترحيل القسري الذي وصفه رئيس وزراء موريشيوس بالجريمة ضد الإنسانية.
وفي عام 2002 صدر قانون بمنح الجنسية البريطانية لأهالي الجزر الذين أعيد توطينهم والمولودين بين عامي 1969 و1982.
ادة مطلقا على إقليم المحيط الهندي البريطاني، وبريطانيا لا تعترف بمزاعمها".
لكن زعيم حزب العمال جيرمي كوربين قال إنه من المهم إعادة الجزر "كرمز للطريقة التي نأمل أن تعكس سلوكنا في القانون الدولي".
وأضاف قائلا:" أتطلع لأن أكون في الحكومة لتصحيح الأخطاء التاريخية".
وكان أرخبيل شاغوس قد انفصل عن مورريشيوس عام 1965 عندما كانت ماتزال مستعمرة بريطانية وقد اشترتها بريطانيا مقابل 3 ملايين جنيه استرليني وأقامت إقليم المحيط الهندي البريطاني.
ومن جانبها تقول بريطانيا إنها أجبرت على التخلي عن الأرخبيل مقابل استقلالها الذي حصلت عليه عام 1968.

قرار دولي

وفي مايو/آيار الماضي صوتت الجمعية العامة للأمم المتحدة بأغلبية ساحقة على إعادة جزر شاغوس لموريشيوس بألغلبية 116 دولة مقابل 6 فقط.
وقالت الأمم المتحدة في إعلان بهذا الشأن إن استمرار السيادة البريطانية على الجزر خطأ.
وجاء قرار الجمعية العامة بعد 3 أشهر فقط من نصيحة المحكمة العليا التابعة للأمم المتحدة لبريطانيا بضرورة مغادرة الجرز بـ "أسرع وقت ممكن".

Tuesday, October 22, 2019

कमलेश तिवारी की मां बोलीं, 'मुख्यमंत्री के हाव-भाव हमें ठीक नहीं लगे'

लखनऊ में हुए कमलेश तिवारी हत्याकांड में पुलिस ने तमाम ऐसे सबूतों के मिलने का दावा किया है जिनसे इस हत्याकांड को अंजाम देने वालों की पहचान हो सके, एसआईटी की टीमें कई राज्यों की पुलिस से भी संपर्क में हैं लेकिन तीन दिन के बाद भी इस मामले में पुलिस कथित तौर पर सिर्फ़ साज़िशकर्ताओं तक ही पहुंच सकी है, हत्या को अंजाम देने वाले अभी भी उसकी पहुंच से दूर हैं.
हालांकि राज्य के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि मुख्य अभियुक्तों की गिरफ़्तारी जल्द ही होगी.
सोमवार को उन्होंने मीडिया को इस बारे में जानकारी दी, "हमारी कई टीमें अलग-अलग जगहों पर लगी हैं और हम हत्या को अंजाम देने वालों के क़रीब तक पहुंच चुके हैं. जल्द ही उनकी गिरफ़्तारी होगी. इस हत्याकांड में मिलने वाले हर सबूत की कड़ी से कड़ी जोड़ने की हम कोशिश में हैं. हर पहलू की जांच की जा रही है. किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है."
डीजीपी ने बताया, "गुजरात ने जिन तीन अभियुक्तों को पकड़ा था उन्हें लएटीएस खनऊ लाकर उनसे पूछताछ की जा रही है. बिजनौर से जिन दो मौलानाओं को गिरफ़्तार किया है, उनसे भी पूछताछ कर रही है."
पुलिस के मुताबिक, अब तक इस घटना से जुड़े सीसीटीवी फ़ुटेज, तमंचा, होटल से बरामद भगवा रंग का कुर्ता जैसे तमाम सबूत मिल चुके हैं जिनसे हमलावरों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है.
डीजीपी ने बताया कि यूपी पुलिस अन्य राज्यों जैसे - महाराष्ट्र, गुजरात - इत्यादि के संपर्क में भी है.
सोमवार को यूपी पुलिस ने कमलेश तिवारी हत्याकांड को अंजाम देने वाले दोनों अभियुक्तों पर ढाई-ढाई लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया है.
वहीं कमलेश तिवारी के परिजन बार-बार इस घटना के लिए आपसी रंज़िश के एंगल की ओर इशारा कर रहे हैं.
यही नहीं, घटना के दिन लखनऊ के एसएसपी ने भी सबसे पहले आपसी रंज़िश की वजह से ही हत्या की आशंका जताई थी लेकिन उसके बाद से भी पुलिस की जांच कमलेश तिवारी के पांच साल पुराने बयान और उसके बाद उन्हें मिली धमकी के इर्द-गिर्द चल रही है.
डीजीपी ओपी सिंह ने पहले कहा था कि इसके पीछे आतंकी साज़िश नहीं है लेकिन अब वो किसी भी संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं.
वहीं इस मामले के तार महाराष्ट्र से भी जुड़ते नज़र आ रहे हैं. नागपुर एटीएस ने सोमवार को सैयद आसिम अली को गिरफ्तार किया है.
बताया जा रहा है कि कमलेश की हत्या करने के बाद एक शूटर ने आसिम से बात की थी. पुलिस इस हत्याकांड में आसिम की मुख्य भूमिका मान रही है.
पुलिस मुरादाबाद, पीलीभीत और शाहजहांपुर में भी अभियुक्तों की तलाशी का अभियान चला रहा है.
इस बीच, रविवार को कमलेश तिवारी के परिवार ने मुख्यमंत्री के बुलावे पर लखनऊ में उनके सरकारी आवास पर मुलाक़ात की.
रविवार की इस मुलाक़ात पर परिजनों ने संतुष्टि जताई थी लेकिन अब परिजनों का आरोप है कि उन्हें मुख्यमंत्री से मिलाने के लिए अधिकारी ज़बरन ले गए.
कमलेश तिवारी की मां कुसुम तिवारी पत्रकारों से यह बताते हुए बेहद ग़ुस्से में थीं.
उनका कहना था, "हमारे यहां इस स्थिति में 13 दिन तक घर से बाहर नहीं निकला जाता है. हमने ये कहा था लेकिन अधिकारी लोग ज़बर्दस्ती करते रहे मुख्यमंत्री के यहां जाने की. मुख्यमंत्री के हाव-भाव हमें ठीक नहीं लगे और न ही हम उनसे मुलाक़ात के बाद संतुष्ट नहीं हैं. संतुष्ट रहते तो इतना क्रोध आपको न दिखता."
इससे पहले कमलेश तिवारी के बेटे सत्यम तिवारी ने भी पुलिस की जांच से असंतोष जताते हुए एनआईए से इस हत्याकांड की जांच कराने की मांग की थी.
कमलेश तिवारी की मां ने भी राज्य पुलिस पर अविश्वास जताते हुए किसी सक्षम एजेंसी से जांच की अपील की है.
कमलेश तिवारी की मां शुरू से ही बीजेपी के एक स्थानीय पर कमलेश तिवारी की हत्या का आरोप लगा रही हैं.
दिलचस्प बात ये है कि पुलिस ने अभी तक उस बीजेपी नेता से पूछताछ भी नहीं किया है.
यूपी पुलिस के एक रिटायर्ड अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "पुलिस को जिस तरीक़े से ताबड़तोड़ सबूत मिल रहे हैं, उनके सामान और कपड़े तक मिल चुके हैं और उनकी लोकेशन भी ट्रेस की जा चुकी है, तो सवाल उठता है अब तक इस घटना को अंजाम देने वाले कैसे बचे हुए हैं?"
वहीं, कमलेश तिवारी की हत्या के बाद से सोशल मीडिया पर कई तरह की अफ़वाहों को देखते हुए पुलिस ने सख़्ती दिखाई है.
सोशल मीडिया पर तथ्यहीन और धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाली पोस्ट डालने के आरोप में अब तक करीब दो दर्जन मामले दर्ज किए जा चुके हैं और चार लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है.
राज्य के डीजीपी ओपी सिंह ने चेतावनी दी है कि सोशल मीडिया पर साजिश रचने वालों के खिलाफ साक्ष्य जुटाकर उनके ख़िलाफ़ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की जाएगी.
कमलेश तिवारी के पैतृक गांव, सीतापुर ज़िले के महमूदाबाद क़स्बे में लोगों का तांता लगा हुआ है. इसी छोटे से क़स्बे में कमलेश तिवारी का परिवार रहता है.
उनके यहां आने-जाने वालों की भीड़ और बाबरी मस्जिद-रामजन्म भूमि मामले की सुनवाई को देखते हुए यहां न सिर्फ़ सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दीगई है.
सीतापुर में धारा 144 लगा दी गई है और कमलेश तिवारी के घर पर आने-जाने वालों पर गहन निगरानी रखी जा रही है.
इस बीच, राजधानी लखनऊ में 18 अक्टूबर को हिंदू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या ने तीखे तेवरों के लिए चर्चित कई अन्य हिंदू नेताओं को विचलित कर दिया है. अब वे अपनी सुरक्षा को लेकर काफ़ी चिंतित नजर आ रहे हैं.
इनमें से कई नेताओं ने बीजेपी के बड़े नेताओं से संपर्क कर सुरक्षा की सिफ़ारिश कराने को कहा है.

Friday, October 18, 2019

مديرة مدرسة إسلامية غير مسجلة في بريطانيا تتحدى السلطات وتواصل عملها

ومع تطور القضية تتواجد ريتا في قاعة المحكمة لدعم النساء، فقد كانت واحدة من اللائي نبهن لممارسات أحمد، وهي من اتصلت بالبي بي سي لأبدأ تحقيقا استقصائيا عن أحمد. وكانت ريتا تظن أنها تعرف "إيدي".
لقد كانا طلبة معا في كلية غلاسغو يدرسان للحصول على شهادة في العمل الاجتماعي، وكلاهما يعيش في منطقة غلاسغو، ويذهبان في عربة واحدة للدراسة.
وذات يوم لم يذهب أحمد مما منح الفرصة لأحد زملاء ريتا ليطلعها على نشاط أحمد في وقت فراغه.
لقد شاهدت ريتا الكثير من النساء شبه العاريات على حسابات أحمد في قناته على يوتيوب وانستغرام.
تقول: "انفجرت في البكاء وشرعت في التفكير، إنه أقرب لقواد في عصابة دعارة، أخذت أنظر للفيديوهات وشعرت بالتقزز، كان الأمر شديد السواد، فالنساء في الفيديوهات لم يظهر أنهن على دراية بأنه يتم تصويرهن".
هذا هو عصر هاشتاغ "أنا أيضا"، فالنساء مثل ريتا وبيث وإيميلي اللائي يقاتلن ضد التحرش سوف ينصت لهن في النهاية.
تقول ريتا: "إنها مشكلة عالمية، وأريد من النساء والفتيات إدراك وجود متحرشين بين زملاء العمل".
تحدت مديرة مدرسة إسلامية غير مسجلة في بريطانيا جهات التفتيش الحكومية التي أقامت دعوى قضائية ضد المدرسة، وتقول المديرة إن لديها منهجا "فريدا" في التدريس، وستظل مدرستها مفتوحة.
وكانت لجنة تفتيش تعليمية قد تبين لها أن نادية علي، مديرة مدرسة "أمباسادورز"، في منطقة ستريتهام في العاصمة البريطانية لندن، "تقاعست عن عمد" عن دورها فيما يتعلق بـ "إجراءات الحماية"، ولم تف بالمعايير المطلوبة.
ووصفت نادية التلاميذ بأنهم "متعلمون سعداء"، ونفت مخالفتها للقانون، لأن المدرسة تعمل بدوام 18 ساعة فقط في الأسبوع حاليا.
وحث مكتب معايير التعليم وخدمات الأطفال والمهارات في بريطانيا "أوفستد" على تحسين التشريعات الخاصة بالتعامل مع المدارس غير المسجلة.
وبموجب القانون، يجب تسجيل وتفتيش أي مؤسسة تضم أكثر من خمسة تلاميذ بنظام العمل بدوام كامل، كما يعرّف التوجيه الحكومي "التعليم بدوام كامل" بأنه تقديم أكثر من 18 ساعة تعليمية في الأسبوع.
وتقول إدارة المدرسة التي تقع في جنوبي لندن، وتصف نفسها بأنها تنتهج الأخلاق الإسلامية، إنها تتقاضى 2500 جنيه استرليني سنويا عن كل تلميذ، وكان لديها 45 تلميذا في وقت إجراء التفتيش الأخير عليها، لكنها لم تنجح في عملية التفتيش الأخيرة، التي تسبق التسجيل.
وقالت نادية علي لبرنامجي "بي بي سي توداي" و"فيكتوريا ديربيشاير" إن المدرسة ظلت مفتوحة لأن عملها مع الأطفال "فريد من نوعه".
وقالت نادية: "أمارس التدريس منذ 15 عاما، ورأيت كيف يحتاج الأطفال إلى منهج مختلف وهذا ما نسعى إلى تقديمه في مدرسة أمباسادورز".
وأضافت: "أؤمن بما نسعى إلى تحقيقه، لأننا لمسنا نتائج كثيرة مع أطفالنا. إنهم متعلمون سعداء".
أصدر المفتشون تحذيرات مرتين للمدرسة التي تعمل بشكل "غير قانوني على الأرجح"، بعد أن تقدمت نادية بطلب للتسجيل أول مرة في عام 2016.
ولم تنجح المدرسة في عملية التفتيش التي تسبق التسجيل، في فبراير/شباط 2019، إذ اعتبر المفتشون أن المدرسة لم تف بالمعايير المطلوبة لتسجيل المدارس المستقلة.
وعلى الرغم من ذلك ظلت المدرسة مفتوحة، مما أدى إلى مقاضاة نادية علي.
وخلص التفتيش إلى أن مديرة المدرسة "تقاعست عن عمد بالوفاء ببعض المسؤوليات الأساسية والحاسمة المتعلقة بالحماية".
كما تبين للمفتشين أن ستة مدرسين من مجموع 11 مدرسا لم يخضعوا للفحص بمعرفة جهاز الإفصاح والخلو من السوابق الجنائية في بريطانيا، أو التحقق من الحالة الجنائية.
بيد أن نادية قالت إن جميع الموظفين العاملين وقت التفتيش خضعوا لذلك الفحص بدقة.
وأضافت: "في ذلك الوقت، كان لدينا أربعة أعضاء تدريس فقط في المدرسة".
وقالت: "حاولنا شرح الأمر للمفتشين وقتها بأن الموظفين الذي تركوا المدرسة مازالوا مقيدين في السجل المركزي".
وقال المفتشون أيضا إن "المعلمين لا يمتلكون المهارات" اللازمة لمساعدة التلاميذ على إحراز تقدم، كما خلص المفتشون إلى أنه "لا توجد قدرة على التحسن" في المدرسة.
كما توصل فريق التفتيش إلى "عدم وجود خطة تهدف إلى تعزيز القيم البريطانية الأساسية بطريقة فعّالة".
وعثر المفتشون في عام 2018 ، على نصوص داخل بعض الكتب الموجودة في غرفة المدرسين، تشجع الآباء على "ضرب أطفالهم" في حالة عدم أداء الصلاة، ونصوص أخرى تقول إن الزوجة ليس لها الحق في الامتناع عن زوجها.
لكن المفتشين لم يعثروا على دليل يؤكد استخدام مثل هذه الكتب مع الأطفال.
وقالت نادية إن الكتب أتت إلى المدرسة من مسجد قد تبرع بها، وهي حبيسة المكتب فقط، وأقرت بأنها غير مناسبة، لكنها نفت أن تكون تلك الكتب قد ساهمت في تشكيل تصور مختلف عن المجتمع البريطاني، أو عدم رغبة في أن تكون المدرسة ضمن منظمومة المجتمع البريطاني الحديث.
وأضافت: "لا أعتقد أن مجرد العثور على بعض الكتب أو فقرة من كتاب كهذا يجعلنا نعارض القيم البريطانية الأساسية، لأننا وأطفالنا، نشأنا في المجتمع البريطاني".
وليس من الواضح كم هو عدد الساعات التعليمية التي تقدمها المدرسة حاليا، على الرغم من أن نادية أصرت على أنها لم تتجاوز 18 ساعة أسبوعيا، بيد أن المفتشين اطلعوا على جدول حصص لتلاميذ تتراوح أعمارهم بين 11 و 14 عاما، تصل فيه الساعات الدراسية إلى 21 ساعة في الأسبوع، ونفت نادية أن يكون جدول الحصص ذلك دقيقا.
وكان التلاميذ يتلقون دروسا قرآنية داخل المدرسة، لكن ذلك يحدث الآن في مسجد قريب.
وقالت نادية إن دروس القرآن تدار بمعرفة أولياء الأمور، لكن الموقع الإلكتروني للمدرسة، الذي لم يعد يعمل على الإنترنت، كان قد طلب من أولياء الأمور دفع 80 جنيها إسترلينيا شهريا مقابل دروس القرآن.
ويقول أولياء الأمور إنهم يديرون ناديا لتقديم دروس خاصة منزلية في مكان منفصل على مقربة من المدرسة.
وقالت نادية إنها كانت تعد أوراقها من أجل التقدم مرة أخرى لتسجيل المدرسة في غضون أسابيع قليلة.
وعلى الرغم من تفتيش مكتب معايير التعليم وخدمات الأطفال والمهارات في بريطانيا "أوفستد" نحو 260 مدرسة يشتبه في أنها غير مسجلة منذ يناير/كانون الثاني 2016 ، وإصدار إشعارات تحذيرية لـ 71 منها، كانت هذه هي المرة الثانية فقط التي تُرفع فيها دعوى قضائية ضد مدير أو مديرة مدرسة لهذا السبب.
وقالت متحدثة باسم "أوفستد" إنه يجب أن يكون هناك تعريف قانوني مناسب لـ "المدارس" و"الدوام الكامل"، لأن التشريع الحالي غامض للغاية.
وأضافت: "إذا كانت تقدم تعليما للطفل، إذن فهي مدرسة ويجب تسجيلها، حتى نتمكن من التأكد من أن الأطفال في أمان ويحصلون على تعليم جيد".
وقال لورد أغنيو، مسؤول في التعليم، إن المدارس غير المسجلة "غير قانونية وغير آمنة، وأي شخص يثبت أنه يدير مدرسة منها سيخضع للمحاكمة".
وأضاف: "عندما تعمل المدارس بدوام جزئي فقط، يجب أن تكون هناك مجموعة من الصلاحيات القانونية المعمول بها للتأكد من أن الأطفال في أمان أثناء رعايتهم".
وقال: "الغالبية العظمى من الحالات تؤدي عملا ممتازا في إثراء حياة الشباب".

Wednesday, October 9, 2019

مسلمو الإيغور: الولايات المتحدة تفرض قيودا على إصدار تأشيرات لمسؤولين صينيين بسبب "القمع"

قررت الولايات المتحدة فرض قيود على منح تأشيرات للمسؤولين الصينيين المتهمين بالضلوع في قمع واعتقال المسلمين من أقلية الإيغور.
جاء هذا القرار في أعقاب قرار أمريكي سابق، يوم الاثنين، بإدراج 28 منظمة صينية ضالعة فيما زعمت الولايات المتحدة أنها سوء معاملة الأقلية المسلمة في منطقة شينجيانغ الصينية.
وقال وزير الخارجية الأمريكي مايك بومبيو، إن الحكومة الصينية قد أطلقت "حملة قمعية شديدة".
ورفضت الصين هذه المزاعم ووصفتها بأنه بلا أساس من الصحة.
واتهم بومبيو الحكومة الصينية، في بيان، بارتكاب سلسلة من الانتهاكات ضد الإيغور وعرقية كازاخستان ومسلمي قيرغيزستان وغيرها من الأقليات المسلمة.
وشملت هذه "الانتهاكات"، حسب البيان، "اعتقالات جماعية في معسكرات الاعتقال، ومراقبة تكنولوجية على نطاق واسع، ورقابة صارمة على التعبير عن الهويات الثقافية والدينية، وإجبار المواطنين على العودة من الخارج ومواجهة مصير محفوف بالمخاطر في الصين".
ورفضت الصين التحركات الأمريكية ضدها.
وقال المتحدث باسم وزارة الخارجية الصينية جينج شوانغ، يوم الاثنين "لا يوجد مثل هذه الأشياء التي تسمى مشكلة حقوق الإنسان، كما تدعي الولايات المتحدة".
وأضاف: "هذه الاتهامات ليست أكثر من ذريعة تتخذها الولايات المتحدة للتدخل المتعمد في الشؤون الداخلية للصين."
وبحسب القرار الأمريكي الأخير، سوف يتم فرض قيود على التأشيرات التي يحصل عليها مسؤولو الحكومة والحزب الشيوعي الصينيين، وكذلك أفراد أسرهم.
وقال البيان الأمريكي "تدعو الولايات المتحدة الصين إلى الكف فورا عن حملتها القمعية في شينجيانغ، والإفراج عن جميع المعتقلين تعسفيا، والتوقف عن إجبار أفراد الأقليات المسلمة الصينية في الخارج على العودة إلى الصين لمواجهة مصير غير مؤكد".
وتخوض الولايات المتحدة والصين حربا تجارية ضد بعضهما البعض، والتقت وفود من البلدي في واشنطن هذا الأسبوع للتشاور بشأن سبل إنهاء التوترات.
وكان هناك استنكار متزايد من الولايات المتحدة ودول أخرى حول "تصرفات" الصين في شينجيانغ.
وزعم وزير الخارجية الأمريكي، في مؤتمر صحفي في الفاتيكان الأسبوع الماضي، أن الصين "تطالب مواطنيها بعبادة الحكومة، وليس الله".
وفي يوليو/تموز الماضي، وقعت أكثر من 20 دولة في مجلس حقوق الإنسان التابع للأمم المتحدة رسالة مشتركة تنتقد فيها معاملة الصين للإيغورر وغيرهم من المسلمين.
الإيغور هم عرقية من المسلمين الأتراك، يشكلون حوالي 45 في المئة من سكان منطقة شينجيانغ، بينما 40 في المئة هم من عرقية الهان الصينية.
أعادت الصين السيطرة على الإقليم عام 1949 بعد سحق دولة تركستان الشرقية التي لم تدم طويلا.
منذ ذلك الحين، كانت هناك هجرة واسعة النطاق من الهان الصينيين إلى الإقليم، ويخشى الإيغور من تآكل ثقافتهم.
وشينجيانغ هي رسميا منطقة تتمتع بالحكم الذاتي داخل الصين، مثل التبت إلى الجنوب منها.

نفذت الصين عملية أمنية ضخمة في شينجيانغ، التي تقع أقصى غرب البلاد، خلال السنوات الأخيرة.
وتقول جماعات حقوق الإنسان والأمم المتحدة إن الصين اعتقلت واحتجزت أكثر من مليون من الإيغور والأقليات العرقية الأخرى في معسكرات اعتقال شاسعة، حيث يجبرون على الارتداد عن الدين الإسلامي، كما يتحدثون فقط بلغة المندرين الصينية ويدينون بالولاء والطاعة للحكومة الشيوعية.
لكن الصين نفت هذه المزاعم وقالت إن المعتقلين يخضعون لتأهيل في "مراكز التدريب المهني" التي توفر لهم الوظائف وتساعدهم على الاندماج في المجتمع الصيني، باسم منع الإرهاب.

Thursday, September 19, 2019

لماذا خسر ليفربول أمام نابولي في دوري أبطال أوروبا؟

ترك فريق ليفربول مشجعيه حول العالم في دهشة بسبب الخسارة التي مني بها في أول مباراته في مشوار بطولة دوري أبطال أوروبا، أمام نابولي الإيطالي بهدفين دون مقابل.
وبهذا، تعد هذه الهزيمة السادسة لفريق ليفربول في آخر ثمانية مباريات ذهاب في بطولة دوري أبطال أوروبا.
كما يعد فريق ليفربول أول فريق يحمل لقب البطولة في موسم سابق ويخسر في مباراته الافتتاحية للبطولة التالية، منذ خسارة فريق إيه سي ميلان عام 1994.
وقال مارك لورنسون، مدافع ليفربول السابق ومحلل كرة القدم الإنجليزية، إن هزيمة الفريق الأحمر على يد نابولي الإيطالي تُعد "صفعة قوية" للفريق الإنجليزي، حامل لقب البطولة.
وأضاف أن فريق يورغن كلوب فاز بخمس مباريات منذ بداية الموسم الحالي للدوري الانجليزي، "حتى أنه كاد ينسى كيف تكون الخسارة".
وقال كارلو أنشيلوتي، المدير الفني لنابولي: "نجحنا في تقديم كل ما هو جيد".
وأضاف: "كانت الاستراتيجية التي لعبنا وفقا لها هي أن نلعب طوال المباراة، وأن نضغط قدر الإمكان، لكن مع الحفاظ على عمق الدفاع إذا ما تطلب الأمر ذلك."
وأكد أن الفريق أظهر أداء جيدا وأنه لابد أن يعتاد اللاعبون على الاختلافات التي تطرأ على ظروف المباراة في كل لحظة.
وقال: "عندما كان ليفربول يسيطر على المباراة، دافعنا جيدا واستثمرنا الفرص. كانت مباراة متوازنة جدا، لذك كان أداؤنا جيدا لأني أدركت تماما أننا أمام أفضل فريق في أوروبا."
ويعود فشل فريق الريدز في الوصول إلى مرمى نابولي بكشل كبير إلى الأداء القوي الذي أظهره مدافع الفريق كاليدو كوليبالي، الذي تمكن من إيقاف العديد من هجمات الريدز.
وكان اللاعب السنغالي محل صراع بين عدة فرق أوروبية تسعى لضمه إليها في موسم الانتقالات الصيفية السابق.
وقد تمكن كوليبالي الذي شكل قلب دفاع الفريق الإيطالي من وقف عدة هجمات خطيرة للاعب محمد صلاح، وفيرمينو في مواجهات فردية مع كل منهما.
"أمر مؤلم"
في المقابل، رأى المدير الفني لليفربول يورغن كلوب إن ما حدث أمر "مؤلم، لأننا حظينا بفرص كثيرة وكانت المباراة مفتوحة وحافلة بالهجمات المرتدة التي لم نستغلها، لكننا لم نكمل أي من تلك الكرات وكانت تلك هي المشكلة".
وأضاف: "في الشوط الثاني كانت المباراة جامحة، كنا نعدو وهم أيضا يعدون بسرعة في الملعب".
وعن ضربة الجزاء التي سددها دريس ميرتنز في مرمى ليفربول، قال كلوب: "لا أعتقد أنها كانت ضربة جزاء صحيحة، لكن ماذا يسعني أن أقول؟ وأرى أن الكرة لا تستوجب ضربة جزاء، لقد قفز قبل أن يمسه أي شيء، لكن لا يمكن تغيير ما حدث".
وتابع كلوب: "قدمنا أداء جيدا، لكننا لم نحرز أهدافا. سيطرنا على المباراة للحظات، لكن لم تكن هناك فرص كثيرة بالاقتراب من النهاية. لذا قررنا الاعتراف بأننا قدمنا عرضا سيئا وأننا نتقبل النتيجة. وأغلب الظن أن الكرة الأخيرة كانت غير صحيحة.
يعتقد معظم الرؤساء التنفيذيين وأصحاب الشركات الناشئة أن الكفاءة الإنتاجية للموظف مرهونة بحماسه للعمل وتركيزه وطموحه وإخلاصه. فإذا كنا نتحلى بهذه السمات الأربعة، سنتمكن دائما من تحفيز أنفسنا لإنجاز المزيد من المهام، أو هكذا نعتقد.
لكن أبحاثا عن ساعات العمل أثبتت أن الإفراط في العمل يؤدي إلى تدني إنتاجية الموظف وليس رفعها. وربطت أبحاث بين طول ساعات العمل وبين زيادة معدلات الإصابة بأمراض القلب والأوعية الدموية ومرض السكري وغيره من الأثار السلبية على الصحة، وكل ذلك يؤثر على حجم الإنتاج.
وتوصل تحليل أجري في عام 2015 لبيانات العمال في المصانع في الظروف الاستثنائية إبان الحرب العالمية الأولى إلى بعض الأدلة التي قد تساعدنا في تحديد الحد الأقصى لساعات العمل الذي إذا تجاوزه الموظف تنخفض إنتاجيته.
كانت بريطانيا أثناء الحرب العالمية الأولى تحتاج لتصنيع العتاد الحربي على وجه السرعة، ولأن الكثير من الرجال كانوا يحاربون على الجبهة، استدعى الجيش النساء للخدمة في مصانع الذخيرة. وكانت مهام النساء في المصنع شاقة وخطيرة، من بينها عمل ثقوب في قطع السلاح قبل تجميعها ولف القطع المعدنية أثناء قطعها بالآلات.
وبتحليل البيانات، استطاع الباحثون احتساب ساعات العمل والإنتاجية بسهولة، لأن العاملات كن يعملن ساعات ثابتة ويؤدين نفس المهام.
واكتشف الباحثون أن الإنتاج كان يزيد كلما زادت ساعات العمل، لكن إلى حد معين. إذ بلغت معدلات الإنتاج ذروتها عند نحو 40 ساعة أسبوعيا، وبعدها أخذت في الانخفاض.
ويقول جون بينكافيل، أستاذ الاقتصاد بجامعة ستانفورد ومعد الدراسة: "إذا عمل الموظف 30 ساعة في الأسبوع بالفعل، تكون كل ساعة عمل إضافية مثمرة، إذ يكون الموظف أكثر قدرة على الإنتاج أو أفضل أداءً مقارنة بالعمل بعد 40 ساعة أسبوعيا".
وذكر بينكافيل في كتابه "المردود المتناقص للعمل: تبعات ساعات العمل الطويلة"، أن العاملات في مصانع الذخيرة كن يعملن أكثر من 50 ساعة أسبوعيا وأحيانا يصل الأمر إلى 72 ساعة. لكنهن حققن أعلى معدلات إنتاج في الأسابيع الت
وقد تنطبق هذه النتائج أيضا على الوظائف التي تتطلب جهدا فكريا، إذ أثبت الباحثون أن العمل لساعات طويلة ينعكس سلبا على أصحاب العمل والموظفين، ويؤدي إلى تراجع الإنتاج وفقدان القدرة على الابتكار والإبداع وتدني الجودة وضعف المهارات الاجتماعية.
لكن هذا لا يعني أن العمل لساعات طويلة لفترة مؤقتة للالتزام بموعد تسليم مشروع ما على سبيل المثال، لا طائل منه. فهناك مديرون تنفيذيون ورؤساء مخلصون يؤدون مهام مناصبهم بكفاءة رغم أنهم يعملون لساعات طويلة بانتظام. غير أن الكثير من الأبحاث تؤيد مزايا أسابيع العمل القصيرة لجميع العاملين.
وأثبتت دراسة نشرتها جمعية علم النفس الأمريكية أن عطلات نهاية الأسبوع وغيرها من الإجازات تساعد في التعافي من الضغوط النفسية الناتجة عن بيئة العمل، بحيث يعود الموظفون إلى العمل بذهن صاف.
وخلصت دراسة أجريت على موظفين إسرائيليين حصلوا على إجازة أسبوعين من العمل، إلى أن الإجازة أسهمت في تحسين الحالة المزاجية والنفسية لجميع الموظفين، حتى من كانوا يعانون من ضغوط نفسية شديدة قبل الإجازة. وذكر معد الدراسة أن: "الضغوط النفسية المزمنة التي يشعر المرء بأنه لا مفر منها تسبب الاحتراق النفسي".
وذلك لأن الذهاب للعمل ومزاولة المهام الوظيفية ينهك الموظفين، وتساعدهم أوقات الراحة في استعادة نشاطهم.
وتختلف المخاطر الصحية المهنية باختلاف طبيعة الوظيفة، فقد تجبر طبيعة العمل بعض الموظفين على العمل لساعات طويلة، كما هو حال العاملين في مجال الطوارئ أو البحارة أو عمال المناجم وسائقي الشاحنات والجراحين وأفراد أطقم الطائرات. وتركز الدراسات التي تجرى على العاملين في هذه المجالات على آثار الحرمان من النوم.
ي لم يعملن فيها لساعات طويلة.
وهذا يدل على أن قضاء وقت أطول من اللازم على مشكلة ما لن يسهم في حلها، بل قد يهدر نفقات التشغيل.
وتقوم الإجازات بدور كبير أيضا في تحسين الإنتاجية، إذ جمعت اللجنة المعنية بصحة العاملين في مصانع الذخيرة بيانات عن أوضاع العاملين الذين منعتهم ظروف الحرب من الحصول على عطلة نهاية الأسبوع. وذكرت اللجنة أن عدم الحصول على يوم راحة من العمل في الأسبوع يضر العاملين وأصحاب العمل على السواء. إذ لم يرتفع الإنتاج ولم يشعر العاملون بالرضا.
ولاحظ بينكافيل أن إنتاجية العاملين في مصانع الذخيرة انخفضت بنسبة تتراوح بين 13.5 و17 في المئة عندما عملوا أياما متواصلة دون الحصول على عطلة نهاية الأسبوع.
وكانت العاملات في المصنع يؤدين أعمالا يدوية ومتكررة، وكان عددهن يفوق عدد الرجال والشباب بأربعة أضعاف. وكن يتقاضين أجورهن بحسب المهمة وليس بالساعة.

Wednesday, July 24, 2019

रुस-चीन ने साथ उड़ाए लड़ाकू विमान, कोरिया-जापान ने दिया जवाब

रूस का कहना है कि उसने पहली बार चीन के साथ साझा हवाई गश्ती अभ्यास किया है. इसकी जवाब में दक्षिण कोरिया और जापान को अपने लड़ाकू विमानों को तुरंत उड़ाना पड़ा.
रूस के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चार बमवर्षक विमानों ने लड़ाकू विमानों की मदद से जापान सागर और पूर्वी चीन सागर के ऊपर से एक पूर्व निर्धारित रास्ते पर गश्ती उड़ानें भरी हैं.
वहीं दक्षिण कोरिया का कहना है कि जब रूसी विमानों ने उसके हवाई क्षेत्र में दख़ल दी तो उसके लड़ाकू विमानों ने चेतावनी देते हुए फ़ायरिंग की.
वहीं जापान ने इस घटनाक्रम के बाद दक्षिण कोरिया और रूस दोनों से विरोध जताया है.
ये घटना विवादित डोकडो/ताकेशीमा द्वीप के ऊपर हुई है. इस द्वीप पर अभी दक्षिण कोरिया का प्रशासन है लेकिन जापान भी इस पर दावा करता है.
हाल के सालों में रूसी और चीनी बमवर्षक विमानों और जासूसी विमानों ने इस क्षेत्र में उड़ानें भरी हैं लेकिन रूस और चीन के बीच हुई ये इस तरह की पहली घटना है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक उसके स्ट्रेटेज़िक मिसाइलों से लैस दो टीयू-95एमएस विमानों ने दो चीनी होंग-6के बमवर्षक विमानों के साथ एक पूर्व निर्धारित रूट पर तटस्थ जल क्षेत्र के ऊपर उड़ान भरी.
इन बमवर्षक विमानों के साथ लड़ाकू विमान और जासूसी विमान भी थे.
टीवी पर प्रसारित एक बयान में लेफ्टिनेंट जनरल सर्गेई कोबीलाश ने कहा, "एक समय ये गश्ती दल एक रेखा में एक दूसरे से लगभग दो मील दूर उड़ रहा कई विमानों का दल बन गया."
उन्होंने कहा कि इस दौरान 11 बार विदेशी लड़ाकू विमानों ने उनका पीछा किया.
उन्होंने दक्षिण कोरियाई पायलटों पर विवादित द्वीप के ऊपर ख़तरनाक करतब दिखाने के आरोप लगाए.
उन्होंने दक्षिण कोरियाई विमानों की छद्म फ़ायरिंग की भी पुष्टि की.
उन्होंने कहा कि विमानों का ये दल डोकडा/ताकेशीमा द्वीप से पच्चीस किलोमीटर दूर था.
उन्होंने दक्षिण कोरियाई पायलटों पर हवा में हुड़दंग के आरोप भी लगाए.
बीबीसी के रक्षा संवाददाता जोनाथन मार्कस का मानना है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में रूस और चीन के लंबी दूरी के बमवर्षक विमानों की ये 'साझा हवाई गश्त' रूस और चीन के बीच बन रहे शक्तिशाली सैन्य गठबंधन का मज़बूत संकेत देती है.
हालांकि अभी तक दोनों देशों ने औपचारिक गठबंधन नहीं किया है लेकिन उनके साझा अभ्यास बड़े और अधिक परिष्कृत हैं.
ये दोनों देशे, जिनके बीच कुछ विवाद भी हैं, आर्थिक और सैन्य मोर्चे पर एक दूसरे के क़रीब आ रहे हैं. दोनों का वैश्विक नज़रिया भी एक जैसा ही है.
ये पश्चिमी उदारवादी लोकतंत्र के ख़िलाफ़ हैं, इसके विकल्प के मॉडल को बढ़ावा देने को आतुर हैं, अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता के प्रति बेहद रक्षात्मक हैं और अक्सर दूसरे की तुलना में किसी न किसी तरह की जोख़िम भरी सवारी करने के लिए तैयार हैं.
ये अमरीका की रणनीति के लिए बड़ी चुनौती है. यदि एक मुखर लेकिन गिरावट की ओर जा रहे रूस और उदयमान चीन के बीच रिश्ते और मज़बूत होते हैं तो अमरीका की चिंता बढ़ना तय है.
अगले कुछ सालों में चीन आर्थिक और तकनीकी मोर्चे पर अमरीका से आगे निकलता दिख रहा है.
दक्षिण कोरिया की सेना का कहना है कि पांच विमानों ने मंगलवार सुबह स्थानीय समयानुसार नौ बजे के क़रीब उसके क्षेत्र में दख़ल दी.
एफ़-15 और एफ़-16 विमानों को रोकने के लिए तुरंत उड़ाया गया. सेना का कहना है कि उसने पहले उल्लंघन के दौरान मशीन गन से 280 गोलियां दागी गईं.
दक्षिण कोरिया ने सुरक्षा परिषद के समक्ष भी अपना विरोध दर्ज करवाया है और परिषद से कार्रवाई करने की मांग की है.
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "हमने इस स्थिति को बेहद गंभीरता से लिया है, अगर दोबारा ऐसा हुआ तो हम सख़्त क़दम उठाएंगे."
दक्षिण कोरिया ने चीन के सामने भी विरोध दर्ज करवाया है वहीं चीन का कहना है कि दक्षिण कोरिया का हवाई रक्षा पहचान क्षेत्र उसका इलाक़ाई हवाई क्षेत्र नहीं है ऐसे में कोई भी यहां से उड़ान भर सकता है.
जापानी सरकार ने दक्षिण कोरिया और रूस दोनों के ख़िलाफ़ शिकायत दी है.
क्योंकि जापान इन द्वीपों पर अपना अधिकार मानता है. जापान की सरकार का कहना है कि रूस ने उसके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है.
जापान ने ये भी कहा है कि दक्षिण कोरिया की प्रतिक्रिया अफ़सोसनाक है.
एयर डिफ़ेंस आइंडेंटिफ़िकेशन ज़ोन (एडीआईज़ेड) यानी हवाई रक्षा पहचान क्षेत्र वो हवाई इलाक़ा होता है जिसकी निगरानी कोई देश अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से करता है. विदेशी विमानों को एयर डिफ़ेंस ज़ोन में दाख़िल होने से पहले अपनी पहचान घोषित करनी होती है.

Sunday, June 30, 2019

حلق شعر رأس امرأتين عقابا لهما على مقاومة الاغتصاب في الهند

اعتقل شخصان في ولاية بهار الهندية إثر قيام مجموعة من الرجال بحلق شعر امرأتين عقابا لهما على مقاومة الاغتصاب.
وهاجم المعتدون، وبينهم مسؤول محلي، امرأة وابنتها في منزلهما بنيّة اغتصابهما، حسبما أفادت الشرطة.
وعندما قاومت المرأتان، اعتدوا عليهما وحلقوا شعر رأسيهما وزفّوهما في أرجاء القرية.
وتقول الشرطة إنها بصدد البحث عن خمسة آخرين شاركوا في الواقعة.
وقالت الأم لوكالة أنباء آسيا الدولي
وقالت المرأتان إن شعر رأسيهما حُلق أمام الناس في القرية.
وقال أحد أفراد الشرطة لوسيلة إعلام محلية إن "نفرا من الرجال اقتحموا منزل الضحيتين وحاولوا التحرش بالبنت" لكن أمها أعانتها على مقاومتهم.
وأدانت مفوضية المرأة في الولاية الحادث، قائلة إن "مزيدا من الإجراءات" ستُتخذ.
وليست هذه المرة الأولى التي تشهد وقوع مثل تلك الحادثة في الولاية.
وفي أبريل/نيسان، هوجمت فتاة مراهقة بسائل حمضي لدى مقاومتها محاولة اغتصاب جماعي.
وتصاعدت بشكل دراماتيكي وتيرة الغضب الشعبي في الهند احتجاجا على وقائع العنف الجنسي بعد حادث وقع عام 2012 تعرضت فيه تلميذة لاغتصاب جماعي أفضى إلى القتل في حافلة بالعاصمة دلهي.
وبرزت القضية مرة أخرى على السطح سياسيا عام 2018، بعد وقوع سلسلة من الاعتداءات ضد أطفال، كان أبطالها مسؤولون رفيعو المستوى.
ولا تزال تقارير عن حوادث الاغتصاب والعنف ضد المرأة تتوالى من أنحاء متفرقة من البلاد.
ضربونا بالعصي ضربا مبرحا. الكدمات تملأ جسدي وكذا ابنتي".
سُحب تطبيق إلكتروني يدعي القائمون عليه قدرته على تجريد نساء من ملابسهن في الصور وإنتاج صور قريبة جدا من الواقع.
وكان التطبيق ويدعى "ديب نود" قد أمسى مثار اهتمام وانتقادات بسبب مقال نشر في موقع "موذربورد" الذي يعني بأخبار التكنولوجيا.
ووصفت واحدة من النشطاء المناهضين لعملية استغلال الصورة الحميمية للابتزاز، التطبيق بأنه "مخيف".
وقد أزال المطورون التطبيق وقالوا إن العالم ليس مستعدا بعد لتطبيق كهذا.
وكتب المبرمجون في رسالة نشروها على موقع تويتر أن "احتمال سوء استغلال التطبيق وارد، ولا نريد أن نجني أرباحا بهذه الطريقة".
وسوف يحصل الذين اشتروا التطبيق على تعويض.
وحث متطورو التطبيق الأشخاص الذين يملكون نسخة منه على عدم نشرها، علما بأن من يملك التطبيق سيتمكن من استخدامه رغم سحبه.
اتفقت الولايات المتحدة والصين على استئناف المفاوضات التجارية، لتخفيف حدة الخلاف الاقتصادي الممتد بينهما والذي أدى إلى تباطؤ الاقتصاد العالمي.
جاء الاتفاق بعد محادثات بين الرئيس الأمريكي دونالد ترامب والرئيس الصيني شي جين بينغ، على هامش قمة مجموعة العشرين في اليابان.
وعلق ترامب على المحادثات بأنها كانت "ممتازة".
وكان الرئيس الأمريكي قد هدد بفرض رسوم جمركية بقيمة 300 مليار دولار إضافية على الواردات الصينية.
لكن بعد الاجتماع مع نظيره الصيني في أوساكا، تراجع ترامب
وفيما يتعلق بأزمة شركة هواوي الصينية، والتي حظرتها أمريكا بسبب ما وصفته بمخاوف أمنية، أكد ترامب على استعادة التعاون معها واستمرار الشركات الأمريكية في بيع التكنولوجيا لها.
لكن ترامب قال إنه سيتم التعامل مع النزاع "في نهاية" المحادثات التجارية.
تخوض الولايات المتحدة والصين، أكبر اقتصادين في العالم، حربا تجارية مدمرة منذ العام الماضي.
واتهم ترامب الصين بسرقة الملكية الفكرية وإجبار الشركات الأمريكية على تبادل الأسرار التجارية من أجل القيام بأعمال تجارية في الصين.
وأكد عدم تطبيق الرسوم الإضافية، مشيرا إلى استمرار التفاوض مع بكين "في الوقت الحالي".
وفال الفريق القائم على تطوير التطبيق إنه طوره لغرض الترفيه قبل بضعة شهور.
وقال مطورو التطبيق في بيانهم إنه "ليس عظيما وإنه يعمل مع صور من نمط خاص فقط".
ومع ذلك أدى الإقبال على تحميل التطبيق إلى تعطل موقع الشركة المطورة .
ووصفت كاتيلين بودن مؤسسة حملة لمناهضة الانتقام الجنسي التطبيق بأنه "مخيف".
وأضافت "الآن بإمكان أي شخص الانتقام من أي شخص آخر بدون أن يضطر لالتقاط صورة له".
وتفيد التقارير أن التطبيق يستخدم شبكات خاصة تعتمد على تقنيات الذكاء الاصطناعي لتعرية النساء في الصور وإنتاج صور قريبة من الواقع.
وتعمل الشبكات على تحديد الملابس في الصورة ثم تفريغها قبل أن يتم ملئ الفراغ بتفاصيل جسدية متخيلة مع الأخذ في الاعتبار درجة لون الجلد والإضاءة والظلال
وتشبه التكنولوجيا في هذه الحالة تلك المستخدمة لإنتاج لقطات فيديو مزيفة تبدو واقعية ، وقد استخدمت نسخ سابقة من التطبيق لإنتاج لقطات جنسية مزيفة لنجوم عالميين.