Thursday, May 30, 2019

هواوي: أسباب قلق أفريقيا من حجب خدمات غوغل عن هواتف الشركة

يعتبر قرار شركة غوغل بشأن حجب برامج نظام تشغيلها "أندرويد" عن شركة هواوي بمثابة بداية حرب باردة تكنولوجية قد تجبر الدول الأفريقية في المستقبل على الاختيار بين التكنولوجية الأمريكية والصينية، وفقا لما صرح به خبراء لبي بي سي.
يتواصل معظم الأفارقة على الإنترنت اليوم مستخدمين هواتف ذكية صينية الصنع على الأرجح، تدعمها شبكات صينية الصنع، نُفذ نصفها على الأقل بمعرفة شركة "هواوي"، عملاق الصناعة التكنولوجية في الصين.
ويقول إريك أولاندر، من مشروع "تشاينا أفريقا" ومقره جنوب أفريقيا : "أسست هواوي الكثير من البنية التحتية لتكنولوجيا المعلومات الحالية في أفريقيا، وإذا نجحت الولايات المتحدة في عرقلة الشركة، فسوف تكون تبعات الخطوة مؤلمة للغاية بالنسبة لقطاع التكنولوجيا المتنامي في أفريقيا والذي يعتمد حاليا على شركة تقع على مفترق الطرق مع واشنطن".
ويقود الرئيس الأمريكي دونالد ترامب حملة عامة يحث فيها الحلفاء لأمريكا على قطع الروابط مع هواوي، ويقول إن تكنولوجيا الشركة، وأشياء أخرى، تشكل خطرا أمنيا لأنها تسمح للحكومة الصينية بالتجسس.
ونفت شركة هواواي مرارا وتكرارا هذه المزاعموقالت هاريت كاريوكي، متخصصة في العلاقات الصينية الأفريقية، لبي بي سي إن حدث ذلك، لا ينبغي لأفريقيا أن تأخذ جانبا.
وأضافت : "إنها ليست معركتنا، بل ينبغي علينا بدلا من ذلك أن نركز على من يعمل من أجلنا".
وقالت ينبغي على الدول الأفريقية، بدلا من ذلك، أن تجتمع وترفع وعي المواطنين بشأن ما في مصلحتهم، وأتمنى أن يتفقوا على قانون حماية للبيانات على غرار الاتحاد الأوروبي لحماية المستهلكين الأفارقة.
وأضافت : "ربما يكون هذا هو الوقت المناسب الذي تدرس فيه أفريقيا تطوير تكنولوجياتها الخاصة لسوقها بدلا من أن تكون مستهلكا سلبيا. أريد أن أرى اجتماعا للدول الأفريقية وتحركا ضد هذا الاستعمار الرقمي الزاحف".
وعلى الرغم من تركيز المخاوف الأخيرة بشأن هواوي على شبكات الاتصال في الغرب، تشير مزاعم أيضا إلى حدوث اختراق أمني سابق في أفريقيا.
ويشير منتقدون لعمليات هواوي إلى تقرير نشرته صحيفة "لو موند" الفرنسية في يناير / كانون الثاني عام 2018 يتحدث عن مزاعم تعرض نظام الكمبيوتر في مقر الاتحاد الأفريقي في العاصمة الإثيوبية أديس أبابا، ونظام وضعته شركة هواوي، للاختراق.
وتبين أنه على مدار خمس سنوات، في الفترة بين منتصف الليل والساعة الثانية، كان يجري نقل بيانات من أجهزة خوادم الاتحاد الأفريقي لمسافة تزيد على ثمانية آلاف كيلومترا إلى شنغهاي في الصين.
ونفى الاتحاد الأفريقي ومسؤولون صينيون هذه المزاعم.
وتعد الشركة، التي افتتحت أول مكتب لها في أفريقيا عام 1998، قطبا للفوز بعقود تنفيذ شبكات الجيل الخامس في القارة.
وقال فان ستادين : "أصبح توسيع نطاق وجود شركة هواوي في القارة ممكنا من خلال كونها أول شركة تستغل إمكانات اقتصاد تكنولوجيا المعلومات في أفريقيا، وتتمتع بالموارد اللازمة لدعم مشروعاتها".
وأضاف : "كما ساعدت ظروف المساعدات التي تقدمها الصين وتتطلب من الحكومات الأفريقية العمل مع الشركات الصينية".
وتقول شركة "آي دي سي" لبحوث التكنولوجيا إن شركة هواوي تعد حاليا رابع أكبر بائع لأجهزة الهواتف الذكية في أفريقيا، في مرتبة تلي شركة "ترانسيون" الصينية التي تنتج العلامتين التجاريتين "تيكنو" و "إنفينيكس"، وفي مرتبة تلي "سامسونغ

Wednesday, May 22, 2019

बिहार: महागठबंधन में किसको कितनी सीटें

बिहार में आख़िरकार महागठबंधन ने अपनी सीटों की घोषणा कर दी है.
शुक्रवार को पटना में महागठबंधन की तरफ़ से हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस में राजद की ओर से राज्य सभा सांसद मनोज झा और कांग्रेस की तरफ़ से प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने हिस्सा लिया.
पहले कहा गया था कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव संवाददाता सम्मेलन करेंगे लेकिन वो नहीं आए.
मनोज झा ने कहा कि तेजस्वी यादव और गठबंधन के दूसरे बड़े नेता बाद में प्रेस से बात करेंगे.
राजद प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्व ने सीटों की घोषणा करते हुए कहा कि राजद 20, कांग्रेस 9, आरएलएसपी 5, हम 3, वीआईपी 3 सीटों पर लड़ेंगे.
आरएलएसपी के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा हैं जो हाल तक बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए का हिस्सा थे और केंद्रीय राज्य मंत्री थे. पिछले साल एनडीए छोड़कर उन्होंने बिहार के महागठबंधन का हिस्सा बनने का फ़ैसला किया था.
एनडीए में 2014 में उन्हें तीन सीटें मिली थीं लेकिन इस बार महागठबंधन ने उन्हें पांच सीटें दी हैं. उन्हें कौन सी पांच सीटें मिली हैं अभी इसकी पूरी जानकारी नहीं मिल सकी है.
उपेंद्र कुशवाहा कोइरी समाज से आते हैं. कुर्मी और कोइरी समाज कुल मिलाकर लगभग 8-9 फ़ीसदी हैं और उन्हें अक्सर एक साथ जोड़कर देखा जाता है.
अब जबकि उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन में शामिल हो गए हैं तो ये देखना दिलचस्प होगा कि वो अपने समाज का कितना वोट ला पाते हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुर्मी समाज से आते हैं.
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी हैं.
जीतन राम मांझी 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बने थे जब नीतीश कुमार ने लोकसभा में अपनी पार्टी जनता दल-यू के ख़राब प्रदर्शन के बाद इस्तीफ़ा दे दिया था.
और उस समय जेडी-यू के हिस्सा रहे मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया था. लेकिन बाद में मांझी और नीतीश के संबंध ख़राब हो गए और उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया.
मांझी ने फिर अपनी पार्टी बनाई और 2015 के विधान सभा चुनाव में एनडीए का हिस्सा थे लेकिन उनका प्रदर्शन बहुत ही ख़राब रहा.
बाद में वो भी एनडीए छोड़कर महागठबंधन का हिस्सा बन गए. उन्हें तीन सींटे दी गईं हैं. मांझी दलितों के मुसहर समाज से आते हैं और उन्हें तीन सीटें इस बुनियाद पर दी गई हैं कि वो एनडीए के दलित नेता रामबिलास पासवान की काट बन सकें और महागठबंधन के लिए कम से कम ग़ैर-पासवान दलित वोटों को ला सकें.
वीआईपी के प्रमुख मुकेश साहनी हैं जो ख़ुद को 'सन ऑफ़ मल्लाह' कहलाना पसंद करते हैं.
मल्लाह और निषाद समाज में उनका कुछ प्रभाव है लेकिन उनको महागठबंधन से तीन सीट मिलना उनकी बड़ी सफलता मानी जा रही है.
राजद कोटा से सीपीआई(माले) को एक सीट दी गई है. लेकिन ये साफ़ नहीं है कि माले को कौन सी सीट दी गई है.
इससे ये भी साफ़ हो गया है कि सीपीआई इस गठबंधन में शामिल नहीं है यानी अब कन्हैया कुमार को गठबंधन से टिकट नहीं मिलेगा.
सीपीआई के बिहार प्रदेश सचिव सत्यनारायण सिंह ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि सीपीआई को गठबंधन में शामिल नहीं किया गया है लेकिन कन्हैया कुमार उनकी पार्टी की तरफ़ से बेगुसराय से चुनाव लड़ेंगे.
कन्हैया कुमार की तरफ़ से फ़िलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है.
11 अप्रैल को होने वाले पहले चरण के चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम की भी घोषणा कर दी गई है.
गया से जीतन राम मांझी, नवादा से राजद की विभा देवी, जमुई से आरएलएसपी के भूदेव चौधरी, औरंगााबाद से हम के उपेंद्र प्रसाद चुनाव लड़ेंगे.
केरल की वायनाड लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की उम्मीदवारी जहां एक ओर उनकी पार्टी के आम कार्यकर्ताओं के बीच जोश पैदा करती दिखती है वहीं दूसरी तरफ उनके पार्टी के नेताओं के बीच की गुटबाजी को पृष्ठभूमि में ले जाती है.
हैरत की बात नहीं कि, आम लोगों के बीच कांग्रेस का एकजुट चेहरा ही नज़र आ रहा है, चाहे वो टैक्सी ड्राइवर हों या होटल कर्मचारी या फिर कलपेट्टा में गुरुवार को राहुल गांधी के नामांकन पत्र भरने के दौरान खड़े आसपास के लोग हों.
वायनाड से राहुल की उम्मीदवारी ने अल्पसंख्यकों के एक वर्ग की माक्सवार्दी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की ओर जाती निष्ठा पर लगाम लगाने का काम किया है.
"हमरी भारत सरकार एक ठो उज्ज्वला योजना शुरू की है, जिसके तहत न , 5 करोड़ लोगों के घरों तक LPG कनेक्शन पहुंचने का वादा किए हैं. ई योजना के तहत एक लाख लोगों को रोज़गार भी मिलेगा. आपको पता है, अब कछु भी नामुमकिन नाही है, सब कुछ मुमकिन है. और ई सब मुमकिन वो किए हैं, जो हम सबके बीच से ही निकल कर आए हैं."
ऊपर लिखे शब्द आपको किसी एक पार्टी या सरकार के प्रचार विज्ञापन के लग रहे होंगे. लेकिन हक़ीक़त में यह डायलॉग एक टीवी सीरियल के हैं.
'भाभी जी घर पर है' सीरियल की मुख्य किरदार अंगूरी भाभी यह बातें सीरियल में अपने पति तिवारी जी से बोल रही हैं.
देश में लोक सभा चुनाव होने में कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में टीवी सीरियल में इस्तेमाल हो रहे ऐसे डायलॉग पर सवालिया निशान भी उठ रहे हैं.
इन डायलॉग में हालांकि किसी पार्टी का नाम नहीं लिया गया है लेकिन जिन योजनाओं का ज़िक्र किया जा रहा है और 'एक व्यक्ति' की महानता का गुणगान किया जा रहा है उससे बड़ी ही आसानी से समझा जा सकता है कि यह किसका प्रचार हो रहा है.
देश में इस समय भाजपा की सरकार है और उसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में है. सीरियल में सुनाई दे रही सभी योजनाएं मोदी सरकार का ही गुणगान कर रही हैं.
भाभी जी घर पर है सीरियल एंड टीवी चैनल पर आता है. 4 और 5 अप्रैल को प्रसारित किए गए इस शो में इन डायलॉग्स का इस्तेमाल किया गया.
ट्विटर पर एक विक्टिम गोबराय नाम से एक पैरोडी अकाउंट ने इस एपिसोड के इन दोनों सीन को ट्वीट किया था. अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है, ''कल मैंने पाया कि मोदी ने अपना प्रचार करने के लिए नई जगह ढूंढ ली है.''
इस ट्विटर अकाउंट से एक और ट्वीट किया गया जिसमें दूसरा सीन पोस्ट हुआ, ''गुरुवार के एपिसोड में स्वच्छ भारत अभियान था तो शुक्रवार के एपिसोड में उज्जवला स्कीम की तारीफ की गई है.'
इसी तरह एक और सीन में तिवारी जी अपने मोहल्ले के कुछ लड़कों को शहर में गंदगी फैलाने के लिए डांट लगा रहे हैं.
उनकी यह डांट भी बड़ी खास है, उसके शब्द कुछ इस तरह से हैं.
" शर्म करो, एक वो आदमी है. जो दिन रात देश की अखंडता-स्वच्छता की बात करता है. और एक तरफ तुम लोग हो. जिन्होंने पूरे कानपुर शहर को गंदगी का गोदाम बना रखा है."
"जब कुछ साल पहले स्वच्छता अभियान की बात छिड़ी थी, तब सिर्फ जागरुकता की कमी की वजह से ये अभियान ठप्प पड़ गया था, लेकिन आज एक कर्मठ नेता की वजह से ये अभियान फिर से एक्टिव हो गया है."
" तुमको पता है स्वच्छता अभियान के तहत 9 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया है."
"आज की हमारी सरकार पूरे जोशो-खरोश से लगी हुई है कि भारत की अखंडता और एकता को खतरा न पहुंचे."
" आज एक कर्मठ, सुशील, ज्ञानी, अतुलनीय पुरुष की वजह से हम स्वच्छता के वातावरण में सांस ले रहे हैं."